दरगाहपुर गाँव में कागज़ों की सड़क का सच उजागर — भूख हड़ताल पर

लक्सर क्षेत्र के दरगाहपुर गाँव में सड़क निर्माण को लेकर बड़ा विवाद सामने आया है। ग्रामीणों द्वारा आरोप लगाया गया कि जिस सड़क को सरकारी कागज़ों में पूर्ण दिखाया गया है, वह ज़मीन पर बनी ही नहीं। इसी शिकायत को आधार बनाते हुए समाजसेवी कपिल कुमार गोयल पिछले पाँच दिनों से भूख हड़ताल पर बैठे थे।

कपिल गोयल का कहना है कि सड़क निर्माण कार्य को भ्रष्टाचार और मिलीभगत के चलते केवल फ़ाइलों में पूरा दिखा दिया गया, जबकि मौके पर सड़क बनी ही नहीं। उन्होंने बताया कि आरटीआई के माध्यम से प्राप्त दस्तावेजों में सड़क का पूरा भुगतान और निर्माण दर्शाया गया है, लेकिन हक़ीक़त इसके बिल्कुल उलट है। इसी अन्याय के खिलाफ उन्होंने अपने घर पर ही भूख हड़ताल शुरू किया था।

अनशन को पांच दिन बीत जाने के बाद ग्रामीणों में भी रोष बढ़ने लगा। स्थानीय लोगों ने कपिल गोयल की मांग को सही ठहराते हुए सड़क घोटाले की उच्चस्तरीय जांच की मांग उठाई। समाजसेवी के समर्थन में वरिष्ठ भाजपा नेता प्रमोद खारी भी धरनास्थल पर पहुंचे और उनके साथ बैठकर न्याय की लड़ाई में सहयोग प्रदान किया।

एसडीएम लक्सर पहुंचे, दिया निष्पक्ष जांच का आश्वासन

मामला गंभीर होने पर शनिवार की दोपहर उप जिलाधिकारी लक्सर सौरभ असवाल, विकासखंड अधिकारी लक्सर तथा तहसील प्रशासन की टीम दरगाहपुर पहुंची। अधिकारियों ने अनशनरत कपिल कुमार गोयल से वार्ता की और पूरी स्थिति का अवलोकन किया।

एसडीएम ने स्पष्ट कहा कि ग्रामीणों की शिकायतें और आरटीआई दस्तावेज गंभीर हैं। सड़क निर्माण की पारदर्शी और निष्पक्ष जांच कराई जाएगी। यदि अनियमितताएं पाई जाती हैं तो जिम्मेदार विभाग और ठेकेदार पर कड़ी कार्रवाई होगी।

तबीयत बिगड़ने पर प्रशासन ने तुड़वाया अनशन

लगातार पांच दिन से भूख हड़ताल पर बैठे कपिल गोयल की गिरती तबीयत को देखते हुए प्रशासन ने उनसे अनशन समाप्त करने का आग्रह किया। बातचीत के बाद एसडीएम सौरभ असवाल, व अधिकारियों ने उन्हें जल पिलाकर अनशन समाप्त करवाया।

कपिल गोयल ने कहा कि उनकी लड़ाई भ्रष्टाचार के खिलाफ है और यदि जांच निष्पक्ष नहीं हुई तो वह दोबारा आंदोलन शुरू करने से पीछे नहीं हटेंगे।

ग्रामीणों ने जताया संतोष

प्रशासन द्वारा जांच प्रक्रिया शुरू किए जाने पर ग्रामीणों ने संतोष जताया और उम्मीद जताई कि कागज़ों में बनी सड़क का सच अब सामने आएगा। ग्रामीणों ने कहा कि आरटीआई में सड़क निर्माण का लाखो का काम दिखाया गया है, जबकि ज़मीन पर सड़क का नामोनिशान तक नहीं—ऐसी स्थिति में जांच अनिवार्य है।

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