लक्सर। कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय रानी माजरा में जिम्मेदार अधिकारी मनमर्जी कर रहे हैं। बच्चों को समय पर न तो खाना मिलता है और ना ही नाश्ता।
बालिकाओं से खाना बनवाया जा रहा है और बर्तन तक साफ कराए जा रहे हैं। यहां तक की छात्रावास में छात्राओं को मजबूर कर कच्चा माँस तक बनवाया जा रहा है, जिसका एक वीडियो सोशल मिडिया पर वायरल हो रहा है। जब वायरल वीडियो की पड़ताल करने मीडिया की टीम छात्रावास पहुँची और मामले की जानकारी के लिए वार्डन से बात की तो उन्होंने कहा कि कुछ बच्चों का माँस खाने का मन था इस लिए चिकन बाहर से बनवा कर मंगाया था। लेकिन विडीओ में साफ देखा जा सकता है कि बालिकाओं से ही माँस साफ करा कर बनवाया जा रहा है।
जानकारी के मुताबिक मीडिया को रानीमाजरा गाँव में स्थित कस्तूरबा गांधी आवासीय बालिका विद्यालय में छात्राओं से मांस बनवा कर खाने की सूचना प्राप्त हुई थी। छात्राओं द्वारा मांस बनाने का किसी व्यक्ति ने विडीओ बना कर सोशल मिडिया पर वायरल कर दिया था। वीडियो की पुष्टि करने के लिए मीडिया की टीम छात्रावास पहुंची और छात्रावास वार्डन तनु चौहान से मामले को लेकर जानकारी की उन्होंने पहले तो छात्राओं द्वारा मांस बनवाने से इनकार कर दिया। जब हमने विडीओ की बात कही तो तनु चौहान ने बताया कि कुछ छात्राओं का चिकन खाने का मन था, इसलिए चिकन बनवा कर बाहर से मंगाया था। जब हमने वार्डन कहा कि चिकन का माँस छात्रावास में ही छात्राओं द्वारा साफ कर बनाया गया है जिसका हमारे पास सबुत है तो उन्होंने सवालों से पल्ला झाड़ते हुए कहा कि विशेष परिस्थितियों में मेन्यु परिवर्तित किया जा सकता है। जब हमने मेन्यु के बारे में जानने की कोशिश की तो वार्डन कार्यालय से उठकर बाहर चली गई और फोन पर किसी से बात करने लगी। जैसे ही हम लोग कार्यालय से बाहर निकले तो छात्राओं ने अपना दर्द बताने के लिए हमे घेर लिया। छात्राओं ने कैमरे पर बताया कि सभी छात्राओं से भोजन बनवाया जाता हैं, हमे समय पर खाना तक नही दिया जाता हैं, दूध को भी जूठा कर दिया जाता है। यदि इसका विरोध किया जाता है तो हम सबको मारा जाता है कमरे में बंद कर दिया जाता है। जब बालिकाएं कैमरे पर अपना दर्द बयां कर रही थी तब वार्डन ने उन्हें कई बार रोकने का प्रयास किया लेकिन छात्राएं नहीं रुकी। जब इस संबंध में छात्रावास वार्डन से पूछा तो उन्होंने भोजन माताओं पर आरोप लगाते हुए कहा कि उनकी हमने उच्च अधिकारियों को शिकायत की है लेकिन कोई कार्रवाई नहीं की है। वहीं छात्राओं का आरोप है कि यह सब वार्डन की मौजूदगी में ही किया जाता है। उनके साथ मारपीट की जाती है और काम कराया जाता है बर्तन धुलवाए जाते हैं। छात्राओं ने बताया हम यहां पर पढ़ने के लिए आए हैं कार्य करने के लिए नही और हमसे यह सब कराया जाता है। इस छात्रावास में 50 बच्चों की सीट हैं।जिनमें से 43 बच्चे मौजूद बताई जा रहे हैं जो सुविधाओं से वंचित है और उनका छात्रावास में शोषण किया जा रहा है।
आपको बता दे की नियम के आधार पर छात्रावास में छात्राओं का फ्री में रहना खाना होता है। छात्रावास में 60 प्रतिशत बच्चे एसटी के और 40 अन्य के होने चाहिए। इसमें उनको भोजन, बाल कटिंग, तेल साबुन, दूध/दही मिलता है। एक सप्ताह में तीन दिन उनको फल दिए जाते हैं। इसके अलावा दो जोड़ी शाला गणवेश, जूते, टॉवल, जुराब और स्वेटर मिलता है। लेकिन हॉस्टल में ज्यादातर नियमों की पालन नहीं किया जा रहा है। जिस वजह से हॉस्टल के बच्चों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। मीडिया की टीम ने कई छात्रों से बातचीत की उन्होंने बताया कि शिक्षा विभाग के अधिकारी छात्रावास की हालत जानने के लिए आते ही नहीं है।उन्होंनें इस बात की शिकायत अपने परिजनों से भी की है परिजनों ने भी कई बार इन बातों को लेकर छात्रवास के स्टाफ से बात की है लेकिन कोई सुधार नहीं हुआ है। छात्रावास के स्टाफ पर आरोप लगाते हुए यह भी बताया कि छात्रावास का सारा काम भी उनसे ही करवाया जाता है। यहां तक कि अगर खाने में छात्रा रोटी भी ज्यादा मांग लेते हैं तो वहां का स्टाफ छात्रों से परिजनों के नंबर मांगकर शिकायत करने की धमकी दे देते हैं। सरकारी सुविधा के नाम पर उन्हें कुछ भी नहीं मिल रहा है। जब इस संबंध में खंड शिक्षा अधिकारी भानु प्रताप से बात की तो उन्होंने बताया कि छात्रावास में कुछ बच्चे मांसाहारी होते हैं जिनको कभी-कभी चिकन आदि बना कर खिलाया जाता है सरकार ने सरकारी स्कूलों में बच्चों को हफ्ते में एक दिन अंडे देने के आदेश भी दिए हुए हैं। रही बात छात्राओं द्वारा विद्यालय में मांस बनवाने की तो यह नियम के विरुद्ध है इसके लिए भोजन माताएं रखी हुई है। इसकी जांच की जाएगी। इसके बाद जिला शिक्षा अधिकारी हरिद्वार को फोन लगाया तो उन्होंने मीडिया कर्मियों का फोन तक नहीं उठाया। जब जिम्मेदार अधिकारी ही अपनी ईमानदारी से ड्यूटी नहीं निभाएंगे तो आम जन का क्या होगा। विद्यालय में गरीब माता-पिता ने अपने बच्चे शिक्षा के लिए भेजे हुए हैं ना की विद्यालय में खाना बनाने बर्तन साफ करने झाड़ू लगाने आदि कार्यों के लिए। इन छात्रावास में छात्राओं का शोषण किया जा रहा है आला अधिकारी सब कुछ जानते हुए चुप्पी सादे हुए हैं।