अनुपमा रावत बनाम यतीश्वरानंद — सोशल मीडिया से आश्रम तक, पुल के नाम पर ‘क्रेडिट वॉर’
हरिद्वार। जिले के रोह नदी पर बनने जा रहे सुगरासा पुल की स्वीकृति और ₹5 करोड़ की बजट मंजूरी के साथ ही राजनीतिक तापमान भी चढ़ गया है। पुल की स्वीकृति को लेकर पूर्व विधायक स्वामी यतीश्वरानंद और वर्तमान कांग्रेस विधायक अनुपमा रावत के बीच श्रेय लेने की होड़ छिड़ गई है।
शनिवार को विधायक अनुपमा रावत ने सोशल मीडिया पर पोस्ट करते हुए पुल स्वीकृति को अपनी जीत बताया। उन्होंने लिखा कि उन्होंने जनता की जरूरत को सदन में उठाया और सरकार पर दबाव बनाया, जिसके फलस्वरूप पुल को मंजूरी और बजट मिला।
वहीं, शाम होते-होते भाजपा नेता व पूर्व कैबिनेट मंत्री स्वामी यतीश्वरानंद वेद निकेतन आश्रम में समर्थकों संग मिठाई बांटते नजर आए। उन्होंने दावा किया कि वे खुद मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी से मिले थे और सुगरासा पुल को प्राथमिकता पर रखवाया।
इस ‘क्रेडिट वॉर’ के बीच असली सवाल यह है कि जनता को क्या चाहिए—पुल या प्रचार?
स्थानीय ग्रामीणों ने दोनों नेताओं के प्रयासों की सराहना तो की, लेकिन साथ ही यह भी कहा कि अब जब पुल मंजूर हो गया है, तो नेता बहस छोड़कर निर्माण की गुणवत्ता और समयसीमा पर ध्यान दें।
इस सियासी घमासान के बीच सुगरासा पुल क्षेत्रीय राजनीति का नया अखाड़ा बन गया है, जहां जनता देख रही है कि कौन सिर्फ क्रेडिट चाहता है और कौन असल में काम कर रहा है।